लहरें सरसी पर उठ-उठकर गिरती हैं सुन्दर से सुन्दर, हिलते हैं सुख से इन्दीवर, घाटों पर बढ आई काई। लहरें सरसी पर उठ-उठकर गिरती हैं सुन्दर से सुन्दर, हिलते हैं सुख से इन्दीवर, घाट...
मेरी वफ़ा पे, तो खींच लाना मेरी शायरी को कठघरे में, और.. चारों ओर एक अदालत रख देना.. मेरी वफ़ा पे, तो खींच लाना मेरी शायरी को कठघरे में, और.. चारों ओर एक अदालत रख दे...
जब दुर्गम हो डगर तब मन में रख हौसला सुगम हो सफर। जब दुर्गम हो डगर तब मन में रख हौसला सुगम हो सफर।
कहाँ रख दिये है तुमने वो जज़्बात . कहाँ रख दिये है तुमने वो जज़्बात .
पतझड़ के बाद बसंत हमेशा सबके आँगन खिलते हैं ! पतझड़ के बाद बसंत हमेशा सबके आँगन खिलते हैं !
फिर ना देखा उसने, कभी भी दर्पण। फिर ना देखा उसने, कभी भी दर्पण।